Wednesday, April 3, 2019

निश्चित ही 
नन्हे हाथ चले होंगे 
किसी सपाट कागज़ पर
उन्मुक्त कल्पनाओं ने
लिया होगा आकार
चित्र दर चित्र 
बने होंगे कई चित्र 
रंग दर रंग
भरे होंगे कई रंग 

खोज में सर्वश्रेष्ठ चित्र की
बनते गए 
कई चित्र,कई जीव,कई पेड़,कई मौसम

फिर बाल मन जब झुंझला उठा
तो भींच कर मुट्ठी में 
सपाट कागज़ को बदल दिया
गोले में 
और उछाला 
भीतर की संपूर्ण उर्जा से 
दूर
कि आज तक घूम रहा है 
वह गोला

रंग इतने गाढ़े थे
कि
एक चित्र 
छपता जा रहा 
कई और चित्रों में 
इस विविध संसार का श्रेय 
उस बड़े को
नहीं पहुँच सका जो यह बताने
पेड़ होंगे एक तरह के
जीव होंगे एक तरह के 
मिट्टी का रंग एक ही होगा
दिशा नदी की एक ही होगी............

निश्चित ही 
नन्हे हाथ चले होंगे 
किसी सपाट कागज़ पर
निश्चित ही 
नन्हे हाथ चले होंगे 
किसी सपाट कागज़ पर

शेफाली शर्मा

निश्चित ही  नन्हे हाथ चले होंगे  किसी सपाट कागज़ पर उन्मुक्त कल्पनाओं ने लिया होगा आकार चित्र दर चित्र  बने होंगे कई चित्र  रं...